Monday, March 28, 2016

' मधु-सा ला ' [ भाग-1 ]

 ' मधु-सा  ला ' रमेशराज का  चतुष्पदी शतक 

+रमेशराज 
------------------------------------------

पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
-----------------------------------------1.
नेताजी को प्यारी लगती, केवल सत्ता की हाला
नेताजी के इर्दगिर्द हैं, सुन्दर से सुन्दर बाला।
नित मस्ती में झूम रहे हैं, बैठे नेता कुर्सी पर,
इन्हें सुहाती यारो हरदम, राजनीति की मधु शाला।।
+ रमेशराज + 

 पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
-------------------------------------------2.
मुल्ला-साधु-संत ने चख ली, राजनीति की अब हाला
गुण्डे-चोर-उचक्के इनके, आज बने हैं हमप्याला।              
नित मंत्री को शीश नवाते, झट गिर जाते पाँवों पर
ये उन्मादी-सुख के आदी, प्यारी इनको मधु शाला।।
+ रमेशराज +

+ पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------3
गर्मागर्म बहस थी उस पर, उसने लूटी है बाला
वही सत्य का हत्यारा है, उसने ही तोड़ा प्याला।
वही शराबी बोल रहा था बैठ भरी पंचायत में-
केवल झगड़ा ठीक नहीं है, मधु शाला में मधु - सा ला ।।
+ रमेशराज + 

 पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
-------------------------------------------------4
बेटे के हाथों में बोतल, पिता लिये कर में प्याला
इन दोनों के साथ खड़ी है, कंचनवर्णी मधुबाला।
गृहणी तले पकौड़े इनको, गुमसुम खड़ी रसोई में
नयी सभ्यता बना रही है, पूरे घर को मधुशाला।।
+ रमेशराज +

 पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------5
मल्टीनेशन कम्पनियों की, भाती लाला को हाला
नेता-अफसर-नौकरशाही, सबके सब हैं हमप्याला।
इन्टरनेट-साइबरकैफे-मोबाइल की धूम मची
आज मुल्क में महँक रही है अमरीका की मधुशाला।।
+ रमेशराज +

 पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------6.
गौरव से हिन्दी को त्यागा, मैकाले की पी हाला
दूर सनातन संस्कार से, लिये विदेशी मधुबाला।
कहता देशभक्त ये खुद को, बात स्वदेशी की करता
हिन्दी छोड़ गही नेता ने, अंग्रेजी की मधुशाला।।
+ रमेशराज + 


 पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------7.
गायब हुई चूडि़याँ कर से, आया हाथों में प्याला
पोंछ रही सिन्दूर माँग से अब भारत की नवबाला।
अपना चीरहरण कर डाला खुद ही अपने हाथों से
बनी विदेशी हाला नारी, घर से बाहर मधुशाला।।
रमेशराज 

 पुस्तक - ' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------8.
थाने में जब रपट लिखाने आयी सुन्दर मधुबाला
तुरत दरोगाजी ने गटकी बोतल से पूरी हाला।
नशा चढ़ा तो कहा प्यार से-‘अरे! देखिए मुंशीजी
रपट लिखाने को आयी है मधुशाला में मधुशाला।।
+रमेशराज 


 पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
--------------------------------------------9.
प्रेमी कहे प्रेमिका से अब पिकनिक पर चल खण्डाला
वहाँ पिलाऊँ कामदेव की मैं हाला ओ मधुबाला।
बीबी बच्चों की चिन्ता से मुक्त हुआ में जाता हूँ
झाँसा दे दे तू भी पति को, आज चलेंगे मधुशाला।।
रमेशराज 

+ पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------10.
नैतिकता ने छल के डाली, विहँस गले में वरमाला
किया वर्जना के सँग यारो, आदर्शों ने मुँह काला।
बने आधुनिक संस्कार सब तोड़ सुपथ की परिपाटी
आज उजाला ढूँढ रहा है अंधकार की मधुशाला।।
= रमेशराज =

+ पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------11.
फाइल अटकी थी दफ्तर में, लाया था केवल हाला
गलती का एहसास उसे है, अब हाला सँग मधुबाला।
चमक रही अफसर की आँखें चेहरे पर मुस्कान घनी
ठेकेदार और अफसर की महँकेगी अब मधुशाला।।
रमेशराज 

+ पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------12.
वह शराब का किंग, उसी की जगह-जगह बिकती हाला
नयी-नयी नित बाला भोगे मंत्रीजी का हमप्याला।
हर मंदिर की प्रमुख शिला पर नाम उसी का अंकित है
सबने जाने मंदिर उसके, पीछे छूटी मधुशाला।।
रमेशराज 

+ पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------13.
कौन व्यवस्था से जूझेगा, तेवर गुम है कल वाला
कलम अगर कर में लेखक के, दूजे कर में है प्याला।
जनता को गुमराह कर रहे चैनल या अखबार सभी
इनके सर चढ़ बोल रही है अनाचार की मधुशाला।।
रमेशराज 

+ पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
---------------------------------------------------14.
शोधकार्य में गुरुवर कहते शिष्य बनो तुम हमप्याला
गुरु को शिष्या लगती जैसे पास खड़ी हो मधुबाला।
नम्बर अच्छे वह पा जाता दाम थमाये जो गुरु को
विद्या का आलय विद्यालय आज बना है मधुशाला।।
रमेशराज 

+ पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------15.
दिन-भर मंच-मंच से उसने जी-भर कर कोसा प्याला
किया विभूषित अपशब्दों से उसने हर पीने वाला।
रात हुई तो उस नेता के नगरवधू थी बाँहों में
जिसकी आँखों में थी बोतल और बदन में मधुशाला।।
+रमेशराज 

+ पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------16.
नेताजी को चौथ न देता दारू की भट्टीवाला
इसी बात पर चिढ़े हुए थे क्यों न हुआ वह हमप्याला।
भनक लगी दारू वाले को पहुँच गया वह कोठी पर
मंत्रीजी ने पावन कर दी नम्बर दो कीमधुशाला।।
+रमेशराज 

+ पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------17.
भले आबकारी अफसर हो, डालेगा कैसे ताला
खींची जाती जिस कोठी में कच्ची से कच्ची हाला।
भले पुलिस को ज्ञात कहाँ पर सुरा-सुन्दरी का संगम
मंत्रीजी के साले की है यारो कोठी-मधुशाला।।
+ रमेशराज 

+ पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------18.
आज युवा हर चिन्ता त्यागे खोज रहा है नवबाला
रात-रात भर जाग रहा है लेकर दारू का प्याला।
कोई टोके तो कहता है फर्क नहीं कोई पड़ता
रोजगार की चिन्ता किसको, बनी रहे बस मधुशाला।।
+ रमेशराज 

+ पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------19.
हर विद्रोही स्वर थामे है कायरता का अब प्याला
आज हमारी लक्ष्मीबाई बनी हुयी है मधुबाला।
सिर्फ शिखण्डी जैसा लगता बस्ती-बस्ती में पौरुष
सबके भीतर पराधीनता महँक रही ज्यों मधुशाला।।
रमेशराज 

+ पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------20.
जब आयी हाला की खुशबू, छूट गयी कर से माला
राम-नाम को छोड़ साधु ने थाम लिये बोतल-प्याला।
शाबासी दी झट चेले को काम किया तूने अच्छा
दो छींटे हाला के छिड़के, प्रकट हो गयी मधुशाला।
रमेशराज 

+ पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------21.
गोबरसे बोतल मँगवायी, ‘धनियासे खाली प्याला
बड़े मजे से घट में अपने पूरी बोतल को डाला।      
जब सुरूर में आया मुखिया, बोला-‘कहना धनिया तू-
होरीकी छोरी लगती है मुझको जैसे मधुशाला।।
रमेशराज 

+ पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------22.
मजबूरी में कंगन गिरवीं रखने आयी मधुबाला
देख उसे मस्ती में झूमा अपनी कोठी में लाला ।
हँसकर बोला मधुबाला से दूर करूँ सारे दुर्दिन
एक बार बस मुझे सौंप दे अपने तन की मधुशाला।।
रमेशराज 

+ पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------23.
व्यभिचारी ने प्रेम-जाल में तुरत फँसायी नवबाला
फिर मित्रों को खूब चखायी उसके अधरों की हाला।
अभी लिखे थे दुर्दिन भारी, उस अबला की किस्मत में
बिककर पहुँची जब कोठे पर, बनकर महँकी मधुशाला।।
रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------24.
रही व्यवस्था यही एक दिन धधकेगी सब में ज्वाला
कल विद्रोही बन जायेगा दर्दों को पीने वाला।
राजाजी को डर है उनकी पड़े न खतरे में गद्दी
इसीलिये वे बढ़ा रहे हैं हाला-प्याला-मधुशाला।।
रमेशराज 

+ पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------25.
बेचारे पापा को लगता बेटी का जीवन काला
आँखों में आँसू वरनी के, लिये खड़ी वह वरमाला।
दूल्हा क्या है मस्त शराबी पिता छलकता प्याले-सा
पूरे के पूरे बाराती चलती-फिरती मधुशाला।।
+रमेशराज 
-----------------------------------------------------------------
+रमेशराज, 15/ 109, ईसानगर , निकट-थाना सासनीगेट , अलीगढ़-202001
मो.-9634551630     


' मधु-सा ला ' -भाग-2

' मधु-सा  ला ' रमेशराज का  चतुष्पदी शतक 

+रमेशराज 
------------------------------------------

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------26.
बेटे की आँखों में आँसू, पिता दुःखों ने भर डाला
मजा पड़ोसी लूट रहे हैं देख-देख मद की हाला।
इन सबसे बेफिक्र सुबह से क्रम चालू तो शाम हुयी
पूरे घर में महँक रही है सास-बहू की मधुशाला।।
+ रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------27.
ससुर-सास के अंकुश त्यागे, घर कुरुक्षेत्र बना डाला
लाँघ रही है मर्यादाएँ नये जमाने की बाला
पति बेचारा हारा-हारा चिन्ताओं से ग्रस्त हुआ
सोच रहा है मेरे घर में आयी कैसी मधुशाला।।
रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------28.
दुःख-दर्दों से भरा हुआ है जीवन में सुख का प्याला
अब पीने को मिलती केवल घोर अभावों की हाला
संशय और तनाव आजकल हमप्याला बन बैठे हैं
अपने हिस्से में आयी है बस आँसू की मधुशाला।
रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------29.
राम और रावण को सँग-सँग अब पीते देखा हाला
समझौतों का अजब गणित है, लक्ष्मण भी है हमप्याला
नये दौर की नयी कथा है, धन-वैभव की माया ये
इस किस्से में बनना तय है हर सीता को मधुशाला।
रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------30.
गौतम ऋषि की पत्नी बदली आज नहीं वैसी बाला
भले शाप कोई दे उसको, छलकेगा फिर भी प्याला।
कामदेव की कृपादृष्टि से आज अहल्या लाखों में
अब ऋषि को भी भाती ऐसी, धन लाती घर मधुशाला।
रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------31.
गोदरेज की डाई से झट करता बालों को काला
खाकर शिलाजीत अब बुड्ढा पीने बैठा है हाला
पतझड़ अपना रूप निहारे रोज विहँसकर शीशे में
साठ साल के बुड्ढे को है बीस बरस की मधुशाला।
रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------32.
मरा पड़ौसी, उसके घर को दुःख-दर्दों ने भर डाला
हरी चूडि़याँ टूट गयीं सब, हुई एक विधवा बाला।
अर्थी को मरघट तक लाते मौन रहे पीने वाले
दाहकर्म पर झट कोने में महँकी उनकी मधुशाला।।
रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------33.
नेता-मंत्री-अफसर करते घोटाले पर घोटाला
इनके भीतर बोल रही है कलियुग के मद की हाला।
बापू की सौगंधें खाते नहीं अघाते जनसेवक
इनकी करतूतों में केवल बसी पाप की मधुशाला।।
रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी-----34.
कानूनों के रखवालों ने हवालात में सच डाला
कैसी है ये नयी रोशनी दिशा-बोध जिसका काला।
दीवाली पर दीप न दीखें, तम के प्रेत मुडेरों पर
बस नेता के घर मुस्काये आज उजाला-मधुशाला।।
रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------35.
व्यभिचारी ने देख अकेली इज्जत पर डाका डाला
रेप किया घंटों पापी ने, सुबक उठी वह मधुबाला।
अबला थी लाचार हार कर दौड़ लगायी सीढ़ी पर
और नहीं सूझा कुछ उसको, छत से कूदी मधुशाला।।
रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------36.
राम आज के पहुँच रहे हैं कोठे पर पीने हाला
लक्ष्मण पीछे-पीछे इनके ताक रहे हैं मधुबाला।
आया है वनवास रास सब छूट्टी घर के अंकुश से
अब दोनों के बीच महँकती सूपनखा की मधुशाला।
--रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------37.
भोग अगर चाहे माया का, कर में ले तुलसी-माला
रँग ले वस्त्र गेरूआ प्यारे, धारण कर ले मृगछाला।
रामनाम के मंत्रों का जप हर बाला को भायेगा
तेरे पास स्वयं आयेंगे प्याला-हाला-मधुशाला।।
-- रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------38.
अब का रावण जान गया है अंगद है पीनेवाला
कुम्भकरण से तुरत मँगाये हाला के सँग मधुबाला।
अडिग पाँव अंगद का फौरन मर्यादा से खिसक उठे
राम-कथा पर अब भारी है लंकासुर की मधुशाला।।
-- रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------------39.
द्रोणाचार्य आज के कहते-‘एकलव्य ले आ हाला
यही दक्षिणा माँगूँ तुझसे हाला के सँग हो बाला।
हुई तपस्या पूरी तेरी, मैं खुश हूँ विद्याको लखि
अरे बाबरे घोर साँवरे परमलक्ष्य है मधुशाला।।
-रमेशराज 

पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------40.
देख सुदामा की हालत को द्रवित हुआ वंशीवाला
बालसखा के सम्मुख आयी आज कहानी में हाला।
कहा श्याम ने समझो दुर्दिन दूर हुए तेरे पंडित
खूब कमाना घर पर जाकर खुलवा दूँगा मधुशाला।।
रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------41.
करती थी बस चौका-बर्तन जिसके घर निर्धन बाला
एक रात वह भी चख बैठी मालिक के तन की हाला।
घर के मालिक ने अबला को कैसी दी सौगात नयी
आज कोख में चहक रही है एक अनैतिक मधुशाला।।
रमेशराज 

 पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
--------------------------------------------42.
हर ईमानआजकल पीता भ्रष्ट आचरण की हाला
और न्यायके हाथों में है गलत फैसले का प्याला।
आज विरक्ति-भरा विश्लेषण कामक्रिया से युक्त मिला
बस्ती-बस्ती खोल रही है लोक-लाज अब मधुशाला।।
-----रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------43.
गर्वीला व्यक्तित्व आजकल चापलूस का हमप्याला
गैरत छोड़ हुआ बेगैरत माँग रहा छल की हाला।
रँगे विदेशी रँग में अपने सदाचार के सब किस्से
आज स्वयं का गौरव हमने बना लिया है मधुशाला।।
----रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------44.
कलमकार भी धनपशुओं का बना आजकल हमप्याला
दोनों एक मेज पर बैठे पीते हैं ऐसी हाला।
निकल रहा उन्माद कलम से, घृणा भरी है लेखों में
महँक छोड़ती अब हिंसा की, अलगावों की मधुशाला।।
---रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------45.
आज अदालत बीच महँकती केवल रिश्वत की हाला
अब सामाजिक अपराधी के जज साहब हैं हमप्याला।
न्याय ठोकरें खाता फिरता, झूठ तानता है मूछें
हित साधे अब अन्यायी के न्यायालय की मधुशाला।।
----रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------46.
राजा ने की यही व्यवस्था दुराचरण की पी हाला
प्याला जिसके हाथों में हो, बन जा ऐसा मतवाला।
मत कर चिन्ता तू बच्चों की, मत बहरे सिस्टम पर सोच
तेरी खातिर जूआघर हैं, कदम-कदम पर मध्ुशाला।।
रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------47.
सदभावों को चढ़ी आजकल सम्प्रदाय की वह हाला
हर आशय केवल थामे है पागलपन का मधुप्याला।
गर्व सभी का दिखा रहा है एक-दूसरे को नीचा
हर विचार में महँक रही है मतभेदों की मधुशाला।।
----रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------48.
क्या सिस्टम से लड़े हौसला, मरा स्वप्न हिम्मतवाला
आज सनातन ब्रह्मचर्य भी माँग रहा सुन्दर बाला।
हाला पीकर धुत्त पड़ी हैं सभी क्रान्ति की उम्मीदें
रोश-भरे अनुमान हमारे पहुँच गये हैं मधुशाला।।
---रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------49.
सारे पापी लामबन्ध हैं, त्रस्त सभी को कर डाला
कहीं किसी बाला को लूटा, किया कही करतब काला।
हम साहित्यिक तर्कवीर हैं, हमें बहस की खुजली है
रीढ़हीन हड्डी का चिन्तन पुष्ट कर रहा मधुशाला।।
---रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------50.
कविता-पाठ बाद में कवि का, पहले पीता है हाला
कवि के साथ शायरा बनकर आती है सुन्दर बाला।
बस उछलें अश्लील पंक्तियाँ और चुटकुले मंचों से
साहित्यिक माहौल हमारा आज बना है मधुशाला।।
---रमेशराज 
-----------------------------------------------------------------
+रमेशराज, 15/ 109, ईसानगर , निकट-थाना सासनीगेट , अलीगढ़-202001

मो.-9634551630     

' मधु-सा ला ' रमेशराज का चतुष्पदी शतक [ भाग-3 ]

' मधु-सा  ला ' रमेशराज का  चतुष्पदी शतक 

+रमेशराज 
------------------------------------------

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------51.
त्याग रहे होली का उत्सव भारत के बालक-बाला
बैलेन्टाइनडे की सबको चढ़ी हुई अब तो हाला।
साइबरों की कुन्जगली में श्याम काम की बात करें
उनके सम्मुख राधा अब की, महँक रही बन मधुशाला।।
--रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------52.
आज विदेशी विज्ञापन की करे माडलिंग मधुबाला
ये दिल माँगे मोरशोर है करती ग्लैड रैड हाला।
लम्पट मिन्टोफ्रेशचबाये, करतब उसकी खुशबू का,
स्वयं खिंची आती मुस्काती घर से बाहर मधुशाला।।
-रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------53.
टीवी पर चुम्बन-आलिंगन, महँक रही तन की हाला
अधोभाग का दृश्य उपस्थित, करती नृत्य खूब बाला!
अब उरोज का ओज झलकता, रेप-सीन हैं फिल्मों में
आज उपस्थित काम-कला की पर्दे पर है मधुशाला।।
--रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------54.
बनना था सत्ताधारी को संसद में बहुमत वाला
पद के लोभ और लालच की मंत्राी ने भेजी हाला।
पीकर उसे विपक्षी नेता ले-ले हिचकी यूँ बोले-
पाँच साल तक रंग बिखेरे मंत्राीजी की मध्ुशाला।।
रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------55.
कभी निभाया उस दल का सँग जिधर मिली पद की हाला
कभी जिताया उस नेता को जिसने सौंपी मधुबाला।
राजनीति की रीति बढ़ायी नोटों-भरी अटैची से
पाँच साल में दस-दस बदलीं दलबदलू ने मधुशाला।।
+रमेशराज 

पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------56.
जातिवाद की-सम्प्रदाय की और धर्म की पी हाला
अधमासुरजी घूम रहे हैं लिये प्रगतिवादी प्याला।
पउए-अदधे-बोतल जैसे कुछ वादों की धूम मची
पाँच साल के बाद खुली है नेताजी की मधुशाला।।
रमेशराज 

पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------57.
पर्दे पर अधखुले वक्ष का झलक रहा सुन्दर प्याला
टीवी पर हर एक सीरियल देता प्रेम-भरी हाला।
ब्लू फिल्मों की अब सीडी का हर कोई है दीवाना
साइबरों में महँक रही है कामकला की मधुशाला।।
-रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------58.
क्वाँरे मनवाली इच्छाएँ लिये खड़ी हैं वरमाला
कौन वरेगा उन खुशियों को जिन्हें दुःखों ने नथ डाला।
हाला-प्याला का मतलब है जल जाये घर में चूल्हा
रोजी-रोटी तक सीमित बस, निर्धन की तो मधुशाला।।
-रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------59.
खुशियों के सम्मुख आया है रंग आज केवल काला
तर्क-शक्ति को चाट गयी है भारी उलझन की हाला।
भाव-भाव को ब्लडप्रैशर है, रोगी बनीं कल्पनाएँ
मन के भीतर महँक रही है अब द्वंद्वों की मधुशाला।।
+रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------60.
हर घर के आगे कूड़े का ढेर लगा घिन-घिन वाला
मच्छर काटें रात-रात-भर, बदबू फैंक रहा नाला।
टूटी सड़कों के मंजर हैं, दृष्टि जिधर भी हम डालें
कैसे आये रास किसी को नगर-निगम की मधुशाला।।
-रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------61.
कब तक सपना दिखलाओगे गांधी के मंतर वाला
और पियें हम बोलो कब तक सहनशीलता की हाला।
अग्नि-परीक्षा क्यों लेते हो बंधु हमारे संयम की
कब तक कोरे आश्वासन की भेंट करोगे मधुशाला।।
+रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------62.
नसबंदी पर देते भाषण जिनके दस लल्ली-लाला
हाला पीकर बोल रहे हैं बहुत बुरी होती हाला
अंधकार के पोषक देखो करने आये भोर नयी
नयी आर्थिक नीति बनी है प्रगतिवाद की मधुशाला।।
+रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------63.
बेटी को ब्याहा तो कोसा जी-भर कर बेटेवाला
रात-रात भर जाग-जाग कर चिन्ताओं की पी हाला
करनी अब बेटे की शादी, भूल गया बीती बातें
उसके भीतर महँक रही है अब दहेज की मधुशाला।।
--रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------64.
अपने-अपने बस्ते लेकर चक्कर काट रहे लाला
विक्रीकर विभाग का अफसर पिये हुए मद की हाला।
दफ्तर के चपरासी-बाबू खुलकर नामा खींच रहे
विक्रीकर सरकारी दफ्रतर बना रिश्वती मधुशाला।।
--रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------65.
डिस्को-क्लब में अदा बिखेरे बदन उघारे सुरबाला
कोई आँखों से पीता है, कोई होंठों से हाला।
बीबी जिनको नीरस लगती, वे सब क्लब में पहुँच गये
मादक बना रही है बेहद नगर-वधू की मधुशाला।।
--रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
-----------------------------------------------66.
भले सुनामी लहरें आयें या मंजर हो भुजवाला
इन्ही आपदाओं के बल पर उसके घर आती हाला।
इन्ही दिनों वह करे इकट्ठा चन्दा सबसे रो-रो कर
दौड़-धूप के बाद पहुँचता रात हुए वह मधुशाला।।
रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------67.
सबसे अच्छी मक्खनबाजी, हुनर चापलूसी का ला
तुझको ऊँचा पद दिलवाये चाटुकारिता की हाला।
स्वाभिमान की बात उठे तो दिखला दे तू बत्तीसी
कोठी, बँगला, कार दिलाये बेशर्मी की मधुशाला।।
--रमेशराज 

+|| पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी ||
------------------------------------------------------68.
व्यभिचारी का यही धर्म है, पल-पल लूट रहा बाला
जिस प्याले में मदिरा डाले वही टूटना है प्याला।
इज्जत के करता वह सौदे कदम-कदम पर हरजाई
बेटी-बहिन-भतीजी उसको दें दिखलाई मधुशाला।।
-रमेशराज 

+|| पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी ||
-------------------------------------------------69.
उसके हैं सम्बन्ध बॉस से, हर मंत्री का वह साला
थानेदार प्यार से उसको बोल रहा-‘ले आ हाला
कैसा भी हो जटिल केस वह सुलझा देता चुटकी में
सबको कर देती आनन्दित उस दलाल की मधुशाला।।
--रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
------------------------------------------70.
बड़ी पत्रिका के दफ्रतर में लेकर पहुँचा वह बाला
जाने-माने सम्पादक के घर पर महँकायी हाला।
आज उसी के लेख-कहानी-कविताओं की धूम  मची
रोज थिरकती है घर उसके अब दौलत की मधुशाला।।
-रमेशराज 

+|| पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी ||
-------------------------------------------------71.
मल्टीनेशन कम्पनियों का ले किसान कर में प्याला
पट्टे पर खेती को देकर पीने बैठा है हाला।
फूल उगेंगे अब खेतों में गेंहू-चावल के बदले
पहले से ज्यादा महँकेगी विश्वबैंक की मधुशाला।।
--रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी----72.
आज विदेशी मदिरा पीकर हर नेता है मतवाला
मल्टीनेशन कम्पनियाँ हैं आज हमारी हमप्याला।
अब पगडंडी त्यागी हमने हाईवे का चलन हुआ
सड़क-सड़क पर महँक रही है विश्वबैंक की मध्ुशाला।।
--रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
---------------------------------------------७३.
ऊपर से आदेश देश में हिन्दी-दिवस मने आला
सो बुलवाया भाषण देने अफसर ने अपना साला ।
साला बोला अंग्रेजी में आई लाइक मच हिन्दी
हिन्दी इज वैरी गुड भाषा एज हमारी मधुशाला।।
--रमेशराज 

पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
---------------------------------------74.
हिन्दू और मुसलमानों में भेद सलीके से डाला,
सबको नपफरत-बैर-द्वेष की पीने को दे दी हाला।
हिन्सा-आगजनी से खुश हैं राजनीति के जादूगर,
उनके बल पर धधक रही अब सम्प्रदाय की मधुशाला।।
+रमेशराज 

+पुस्तक -' मधु-सा  ला ' से चतुष्पदी
----------------------------------------75.
अपनी-अपनी ढपली सबकी, अलग राग सबका आला,
सभी जातियाँ लामबंद हैं भेदभाव का ले प्याला।
दिखा रहे हैं हम समूह में एक-दूसरे को नीचा,
सबके सर चढ़ बोल रही है जातिवाद की मध्ुशाला।।
-रमेशराज 
-----------------------------------------------------------------
+रमेशराज, 15/ 109, ईसानगर , निकट-थाना सासनीगेट , अलीगढ़-202001
मो.-9634551630